ઘરકામમાં મને મદદ કરવા ગૌતમભાઈ અહારી આવે છે. ખૂબ મહેનતુ અને ઉચ્ચ વિચારો ધરાવતી વ્યક્તિ છે. સાવ નાનો મોબાઈલ વાપરે. ફોન રિચાર્જ માટે સ્માર્ટ ફોન જોઈએ. મને મહિનાનું રિચાર્જ કરવાનું કહે અને ૨૦૦ રૂપિયા કાઢીને આપે. હું કહું પગારમાં વાળી લઈશું પણ કહે મારો નિયમ છે. ખિસ્સામાં હોય એટલો જ ખરચો કરવો. હાલ એમનો દીકરો નિખિલ વૅકૅશનમાં અમદાવાદ આવેલો છે. કહે, “पप्पा के साथ रहे के उनको हेल्प करुंगा। मिलेगा तो कोई और काम करके दो पैसा कमाऊंगा।” ૧૧ પાસ છે. હિન્દી માધ્યમમાં અભ્યાસ કરે છે. આર્ટસ લીધેલું છે અને ૧૨મા પછી STCનો બે વર્ષનો કોર્સ કરીને શિક્ષક બનવા માગે છે. ૧૯ વર્ષનો છે પણ સમજણ ઉંમર કરતાં ક્યાં ય વધારે. ૧લી તારીખે એના પપ્પા સાથે મારે ઘેર આવ્યો. પહેલી નજરે જ વહાલો લાગે એવો ચહેરો. ચહેરા પર કુમાશ. ભોળપણ દેખાય પણ સાથે ઠાવકાઈ પણ.
અમદાવાદ ઉકળી રહ્યું છે. નિખિલ કહે,”रात को निंद नहीं आती है। बहोत गरमी है यहां शहेर में। रूम पे सिर्फ पंखा है। बहार भी हवा नहीं चलती है। शहेर है के भठ्ठी है? हमारे गाँव में रात और सुबह क्या ठंडी हवा बहेती है!”
છબિ સૌજન્ય : રૂાપલી બર્ક (24 નવેમ્બર 2023)
મેં કહ્યું શહેર તો નર્ક જ છે. રહેવાનો આનંદ તો ગામડાંમાં જ. અમે તો ધુમાડા વચ્ચે વહેલા મરી જવાના. નસીબદાર તો તમે છો.”
આજે આવ્યો તો ખાસ્સો આનંદમાં હતો. મેં કારણ પૂછ્યું. કહે, “कल रात दबा के बारिश हुई गाँव में। तालाब ऊभर के बहार आ गया। मैं गाँव भाग जाना चाहता हुं ठंडी ठंडी हवा में रहेने के लिए। पता नहीं तुम्हारे शहेर में कब बारीश होगी। दो तीन दिन पहेले काले काले बादल थे के शाम को तो मुझे लगा के कम से कम बुंद बुंद बारीश तो होगी। कल मेरे दोस्त भेरु का फोन आया था। उसने बताया के हमारा दोस्त भगला के खेत में था और बिजली गीरी उसके हाथ पे। फिर भी वो STC की परीक्षा देने जाने वाला है। ये हुई ना बात! आपने बिजली गीरते हुए देखी है? सांप जैसी दिखती है के। बिजली क्युं होती है?”
મેં કહ્યું, “ बादल पानी से भरे होते हे और आपस में टकराने से बिजली पैदा होती है।”
तो निखिल कहे, “वो तो वैज्ञानिक कारण हुआ के। मेरी दादी एक कहानी बताती थी। पहेले के जमाने में बुझुर्ग ऐसी कहानीयाँ बताते थे। दादी हमारी भाषा में बताती थी। हमारी भाषा समज में नहीं आएगी। मैं हिन्दी मैं बताता हुँ :
एक बार एक लड़की थी। उसका भाई उदास था क्युंकि बारीश नहीं हो रही थी। उसको चिंता थी की खेत में जुवार कैसे लगायेगा। लड़की ने इन्द्र देव से प्रार्थना की। कहा बारीश भेजोगे तो में तुम्हारे साथ चलुंगी। इन्द्र देव ने प्रार्थना सुन ली। बहोत बारीश हुई। लडकी के भाई ने खेत में जुवार लगा दी। जब फसल पक गई तो इन्द्र देव बाबा का रूप धारण कर के लडकी के घर गए। लडकी ने भीक्षा में बाबा को जुवार दी। वो इन्द्र देव को पहेचान नहीं पाई। इन्द्र देव लडकी की चोटी पकड के उसे आकाश में खींच के ले गए। वहां पहोंच कर असली रूप धारण कर लिया। उन के पुरे शरीर पर साँप लिपटे हुए थे। उनकी पत्नी आरती की थाली ले कर खडी थी। लडकी बहोत डर गई। उसने जो हाथ में आया उस से साँप को हठा हठा कर चारों दिशा में फेंकने लगी। साँप धरती पर गीरने लगे। इस लिए बिजली गीरती है तो साँप के जैसे दिखती है।
और बारीश आने के पहेले मोर क्युं चिल्लाते हैं पता है? एक बार धरती पर बारीश ही नहीं हो रही थी। एक, दो, तीन, चार महिने बीत गए पर बारीश का नाम नहीं। मोर चिल्लाते रहेते। इन्द्र देव को गुस्सा आता। उन्होंने ठान ली। मोर की वजेह से बारीश नहीं भेजुंगा। धीरे धीरे सब कुछ मरने लगा। पैड, पौधें, पशु, पंखी, नदी, तालाब सुख गए। इन्सान मरने लगे। इन्द्र देव को लगा मोर भी मर गए होंगे। तब जा के इन्द्र देव ने धरती पर भारी बारीश भेजी। मोर जोर जोर से पहेले के जैसे ही चिल्लाने लगे। इन्द्र देव चोंक गए। अरे मोर जिन्दा है अभी भी। उन्होने मोर से पुछा, “सब कुछ मर गया, तुम कैसे जीन्दा रहे पाए?” मोरने उत्तर दिया, “हम रोते रहे और हमारे आंसु पीते रहे और कंकण खा के पेट भरते रहे। इस तरह जिन्दा रहे।”
પછી નિખિલ મને કહે, “जानते हो, इस लिए मोर सुबह पांच बजे कंकण चुगते है। कभी ध्यान से देखना।
હું સાંભળતી જ રહી ગઈ. કોઈ બીજી જ દુનિયામાં ખોવાઈ ગઈ. એક દુનિયામાં અનેક દુનિયા છે. એક નિખિલની દુનિયા, એક મારી દુનિયા….
e.mail : rupaleeburke@yahoo.co.in