કીકી જેવું છે આ જીવન,
ક્યારેક ફેલાય, ક્યારેક સંકોચાય
બે’ક અક્ષર ધૂંધળા વંચાય છે,
સપનાં કયાં સાકાર થાય છે
ઝાકળ માફક ગગન આખું ઝાલ્યું,
નીતરતી ચાંદનીમાં દરિયો ધોધવાય છે,
ખાળખડતું ઝરણું નદીમાં ખોવાય છે
સપનાં કયાં સાકાર થાય છે
આ ટીપાની ધાર પર કયાં સુધી રહું,
આસમાની ભેજ ખુલતા જાય છે,
પાણીમાં માછલી તણાય છે,
સપનાં કયાં સાકાર થાય છે
અધૂરી સાંજે રંગ લઈ સૂરજ ઢળે,
માંડ જર્જર જાત સંકેલાય છે,
ઘડીક જીવનનું મર્મ સમજાય છે,
જો સપનાં બધા સાકાર થાય છે
ફરું છું ખુદ; ખુદ ને લઈ ને,
ખુદ ને ખુદ મળતો જાય છે,
આ સપનાં જો સાકાર થાય છે,
સૂરજના કિરણો દૌડતા થાય છે.
ઘાટકોપર, મુંબઈ
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पिछले 210 साल के ब्रितानी इतिहास में सबसे कम – 42 साल – उम्र के, अश्वेत, हिंदू धर्मावलंबी ऋषि सुनक को इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बनाना इंग्लैंड के लिए और भी और कंजरवेटिव पार्टी के लिए भी संतोष भरे गर्व का विषय होना चाहिए. अपने सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक जीवन के एक अत्यंत नाजुक दौर में, पार्टी ने हर तरह के भेद को भुला कर, अपने बीच से एक ऐसा आदमी खोज निकाला है जो उसे लगता है कि उसके लिए अनुकूल रास्ता खोज सकता है. उसका यह चयन कितना सही है, यह समय बताएगा लेकिन यह खोज ही अपने आप में इंग्लैंड को विशिष्ट बनाती है. सुनक की कंजरवेटिव पार्टी भारत के लिए बहुत अनुकूल नहीं रही है लेकिन आज की बदलती दुनिया में, पुरानी छवियां खास मतलब नहीं रखती हैं. आज जो है वही आज के मतलब का है. भारत को भी और इंग्लैंड को भी जरूरत है एक-दूसरे से नया परिचय करने की और सुनक इसे शायद आसान बना सकेंगे.
सुनक एक प्रतिबद्ध, समर्पित ब्रितानी नागरिक हैं जैसा कि उन्हें होना चाहिए. उनका विवाह एक भारतीय लड़की से हुआ है. उस भारतीय लड़की का परिवार- नारायण-सुधामूर्ति परिवार- भारत के सबसे प्रतिष्ठित व संपन्न परिवारों में ऊंचा स्थान रखता है. इस लड़की से शादी के बाद सुनक इंग्लैंड के सबसे अमीर 250 लोगों में गिने जाते हैं. इसके अलावा सुनक का कोई तंतु भारत से नहीं जुड़ता है. न ऋषि सुनक भारत में जनमे हैं, न उनके माता-पिता, यशवीर व उषा सुनक का जन्म भारत में हुआ है. उनके दादा-दादी जरूर अविभाजित भारत के पंजाब के गुजरानवाला में पैदा हुए थे जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया. दादा-दादी परिवार ने भी अर्से पहले गुजरानवाला छोड़ दिया था और अफ्रीका जा बसे थे जहां से 1960 में, अर्द्ध-शताब्दी पहले वे इंग्लैंड जा बसे. जिस तरह अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा केन्या में जनमे थे और ईसाई धर्म में आस्था रखते हैं, ठीक वैसे ही सुनक इंग्लैंड में जनमे, हिंदू धर्म में आस्था रखते हैं. हमें अपनी सोनिया गांधी से सुनक को समझना चाहिए जिनका जन्म इटली में हुआ, जो जन्ममना ईसाई धर्म की अनुयायी हैं लेकिन एक भारतीय लड़के से शादी कर भारतीय बनीं तो आज उनका कोई भी तंतु इटली से पोषण नहीं पाता है. धर्म की परिकल्पना एक संकीर्ण बाड़े के रूप में करने वालों के लिए सोनिया व सुनक जैसे लोग एक उदाहरण बन जाते हैं कि धर्म निजी चयन व आस्था का विषय है, होना चाहिए लेकिन उससे नागरिकता या पहचान तय नहीं की जा सकती है. सुनक के मामले में ऐसा कर के हम इंग्लैंड के अंग्रेजों में मन में नाहक संकीर्णता का वह बीज बो देंगे जो कहीं है नहीं. यह न भारत के हित में है, न इंग्लैंड के.