આપી જૂઓ
શાંત મનને એ કસક આપી જૂઓ,
ક્ષણ ફકત એક આક્રમક આપી જૂઓ.
સ્વપ્નમાં તો સ્વપ્નમાં કોઈક વાર,
આપની, ગમતી ઝલક આપી જૂઓ.
પૃથ્વી આ પરિમલસભર દઇશું કરી,
દિલથી ક્ષણ એક દિલધડક આપી જૂઓ.
તૃણવત્ સમજી નહીં સ્પર્શું ય એ,
આપ આખ્ખી યે ખલક આપી જૂઓ.
મૌજ-મસ્તી એ પછી પણ બરકરાર;
ના ફકત મિલન તલક આપી જૂઓ.
સત્તા-સંપત સહુને અર્પણ; બસ ! મને,
મૌજ-મસ્તીનું મલક આપી જૂઓ.
સહુ મજા ભૂલી જશો વાસંતી પણ,
પાનખરને એક તક આપી જૂઓ.
બંધ પિંજરમાં ‘પ્રણય’ ક્યાંથી ઉડે ?
ઊડવા ખુલ્લું ફલક આપી જૂઓ.
તા. ૦૯/૧૦-૦૭-૨૦૨૨
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કમ નથી
રામ કોʼક જ છે ! ને રાવણ કમ નથી,
સિંહ જેવો ફક્ત એક જણ કમ નથી.
તારો અસલી ચહેરો જોવો હોય તો,
તારી આંખો સામે દર્પણ કમ નથી.
કોʼક શબ્દો થઇ શકે ગમતી ગઝલ,
ફૂલને ખીલવાને આંગણ કમ નથી.
હો ભલે નાનકડો એવો શેર એ,
કિન્તુ એમાં પણ મથામણ કમ નથી.
કઇ અદાથી તું બચી શકવાનો છે ?
એની પાસે રૂપ-કામણ કમ નથી.
છેડી જૂઓ એની પથ્થરતા અહીં,
કાળમીંઢો માંહે રણઝણ કમ નથી.
સાંત્વન એ વાતનું છે કે ‘પ્રણય’,
જીવવા માટેના કારણ કમ નથી.
તા. ૧૯/૨૦-૦૭-૨૦૨૨
 


 पिछले 210 साल के ब्रितानी इतिहास में सबसे कम – 42 साल – उम्र के, अश्वेत, हिंदू धर्मावलंबी ऋषि सुनक को इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बनाना इंग्लैंड के लिए और भी और कंजरवेटिव पार्टी के लिए भी संतोष भरे गर्व का विषय होना चाहिए. अपने सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक जीवन के एक अत्यंत नाजुक दौर में, पार्टी ने हर तरह के भेद को भुला कर, अपने बीच से एक ऐसा आदमी खोज निकाला है जो उसे लगता है कि उसके लिए अनुकूल रास्ता खोज सकता है. उसका यह चयन कितना सही है, यह समय बताएगा लेकिन यह खोज ही अपने आप में इंग्लैंड को विशिष्ट बनाती है. सुनक की कंजरवेटिव पार्टी भारत के लिए बहुत अनुकूल नहीं रही है लेकिन आज की बदलती दुनिया में, पुरानी छवियां खास मतलब नहीं रखती हैं. आज जो है वही आज के मतलब का है. भारत को भी और इंग्लैंड को भी जरूरत है एक-दूसरे से नया परिचय करने की और सुनक इसे शायद आसान बना सकेंगे.
पिछले 210 साल के ब्रितानी इतिहास में सबसे कम – 42 साल – उम्र के, अश्वेत, हिंदू धर्मावलंबी ऋषि सुनक को इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बनाना इंग्लैंड के लिए और भी और कंजरवेटिव पार्टी के लिए भी संतोष भरे गर्व का विषय होना चाहिए. अपने सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक जीवन के एक अत्यंत नाजुक दौर में, पार्टी ने हर तरह के भेद को भुला कर, अपने बीच से एक ऐसा आदमी खोज निकाला है जो उसे लगता है कि उसके लिए अनुकूल रास्ता खोज सकता है. उसका यह चयन कितना सही है, यह समय बताएगा लेकिन यह खोज ही अपने आप में इंग्लैंड को विशिष्ट बनाती है. सुनक की कंजरवेटिव पार्टी भारत के लिए बहुत अनुकूल नहीं रही है लेकिन आज की बदलती दुनिया में, पुरानी छवियां खास मतलब नहीं रखती हैं. आज जो है वही आज के मतलब का है. भारत को भी और इंग्लैंड को भी जरूरत है एक-दूसरे से नया परिचय करने की और सुनक इसे शायद आसान बना सकेंगे. सुनक एक प्रतिबद्ध, समर्पित ब्रितानी नागरिक हैं जैसा कि उन्हें होना चाहिए.  उनका विवाह एक भारतीय लड़की से हुआ है. उस भारतीय लड़की का परिवार- नारायण-सुधामूर्ति परिवार- भारत के सबसे प्रतिष्ठित व संपन्न परिवारों में ऊंचा स्थान रखता है. इस लड़की से शादी के बाद सुनक इंग्लैंड के सबसे अमीर 250 लोगों में गिने जाते हैं. इसके अलावा सुनक का कोई तंतु भारत से नहीं जुड़ता है. न ऋषि सुनक भारत में जनमे हैं, न उनके माता-पिता, यशवीर व उषा सुनक का जन्म भारत में हुआ है. उनके दादा-दादी जरूर अविभाजित भारत के पंजाब के गुजरानवाला में पैदा हुए थे जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया. दादा-दादी परिवार ने भी अर्से पहले गुजरानवाला छोड़ दिया था और अफ्रीका जा बसे थे जहां से 1960 में, अर्द्ध-शताब्दी पहले वे इंग्लैंड जा बसे. जिस तरह अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा केन्या में जनमे थे और ईसाई धर्म में आस्था रखते हैं, ठीक वैसे ही सुनक इंग्लैंड में जनमे, हिंदू धर्म में आस्था रखते हैं. हमें अपनी सोनिया गांधी से सुनक को समझना चाहिए जिनका जन्म इटली में हुआ, जो जन्ममना ईसाई धर्म की अनुयायी हैं लेकिन एक भारतीय लड़के से शादी कर भारतीय बनीं तो आज उनका कोई भी तंतु इटली से पोषण नहीं पाता है. धर्म की परिकल्पना एक संकीर्ण बाड़े के रूप में करने वालों के लिए सोनिया व सुनक जैसे लोग एक उदाहरण बन जाते हैं कि धर्म निजी चयन व आस्था का विषय है, होना चाहिए लेकिन उससे नागरिकता या पहचान तय नहीं की जा सकती है. सुनक के मामले में ऐसा कर के हम इंग्लैंड के अंग्रेजों में मन में नाहक संकीर्णता का वह बीज बो देंगे जो कहीं है नहीं. यह न भारत के हित में है, न इंग्लैंड के.
सुनक एक प्रतिबद्ध, समर्पित ब्रितानी नागरिक हैं जैसा कि उन्हें होना चाहिए.  उनका विवाह एक भारतीय लड़की से हुआ है. उस भारतीय लड़की का परिवार- नारायण-सुधामूर्ति परिवार- भारत के सबसे प्रतिष्ठित व संपन्न परिवारों में ऊंचा स्थान रखता है. इस लड़की से शादी के बाद सुनक इंग्लैंड के सबसे अमीर 250 लोगों में गिने जाते हैं. इसके अलावा सुनक का कोई तंतु भारत से नहीं जुड़ता है. न ऋषि सुनक भारत में जनमे हैं, न उनके माता-पिता, यशवीर व उषा सुनक का जन्म भारत में हुआ है. उनके दादा-दादी जरूर अविभाजित भारत के पंजाब के गुजरानवाला में पैदा हुए थे जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया. दादा-दादी परिवार ने भी अर्से पहले गुजरानवाला छोड़ दिया था और अफ्रीका जा बसे थे जहां से 1960 में, अर्द्ध-शताब्दी पहले वे इंग्लैंड जा बसे. जिस तरह अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा केन्या में जनमे थे और ईसाई धर्म में आस्था रखते हैं, ठीक वैसे ही सुनक इंग्लैंड में जनमे, हिंदू धर्म में आस्था रखते हैं. हमें अपनी सोनिया गांधी से सुनक को समझना चाहिए जिनका जन्म इटली में हुआ, जो जन्ममना ईसाई धर्म की अनुयायी हैं लेकिन एक भारतीय लड़के से शादी कर भारतीय बनीं तो आज उनका कोई भी तंतु इटली से पोषण नहीं पाता है. धर्म की परिकल्पना एक संकीर्ण बाड़े के रूप में करने वालों के लिए सोनिया व सुनक जैसे लोग एक उदाहरण बन जाते हैं कि धर्म निजी चयन व आस्था का विषय है, होना चाहिए लेकिन उससे नागरिकता या पहचान तय नहीं की जा सकती है. सुनक के मामले में ऐसा कर के हम इंग्लैंड के अंग्रेजों में मन में नाहक संकीर्णता का वह बीज बो देंगे जो कहीं है नहीं. यह न भारत के हित में है, न इंग्लैंड के.