Opinion Magazine
Opinion Magazine
Number of visits: 9299643
  •  Home
  • Opinion
    • Opinion
    • Literature
    • Short Stories
    • Photo Stories
    • Cartoon
    • Interview
    • User Feedback
  • English Bazaar Patrika
    • Features
    • OPED
    • Sketches
  • Diaspora
    • Culture
    • Language
    • Literature
    • History
    • Features
    • Reviews
  • Gandhiana
  • Poetry
  • Profile
  • Samantar
    • Samantar Gujarat
    • History
  • Ami Ek Jajabar
    • Mukaam London
  • Sankaliyu
  • About us
    • Launch
    • Opinion Online Team
    • Contact Us

मोदी के चुनाव भाषण: झूठ और नफरत का सैलाब

राम पुनियानी|Opinion - Opinion|10 May 2024

राम पुनियानी

भाजपा की प्रचार मशीनरी काफी मजबूत है और पार्टी का पितृ संगठन आरएसएस इस मशीनरी की पहुँच को और व्यापक बनाता है. आरएसएस-भाजपा के प्रचार अभियान का मूल आधार हमेशा से मध्यकालीन इतिहास को तोड़मरोड़ कर मुसलमानों का दानवीकरण और जातिगत व लैगिक पदक्रम पर आधारित प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति का महिमामंडन रहा है. संघ परिवार समय-समय पर अलग-अलग थीमों का प्रयोग करता आया है. एक थीम यह है कि मुस्लिम राजाओं ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा. राममंदिर आन्दोलन का मूल सन्देश यही था. फिर देश की सुरक्षा भी एक प्रमुख थीम है, जिसमें पाकिस्तान को भारत का दुश्मन बताया जाता है. बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के पहले वे अन्य मुस्लिम-विरोधी थीमों के अतिरिक्त, मुसलमानों के भारतीयकरण की बात भी किया करते थे.

पिछले एक दशक में उन्होंने ‘अच्छे दिन’ की बात की और कई दूसरे जुमले भी उछाले, जैसे महिलाओं की सुरक्षा, हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख आएंगे और हर साल दो करोड़ लोगों को रोज़गार मिलेगा. कांग्रेस को भ्रष्ट पार्टी सिद्ध करने का प्रयास भी किया गया. आरएसएस से जुड़े संगठनों के समर्थन और उनके तत्वाधान में अन्ना आन्दोलन चलाया गया जिससे कई सालों तक लोगों के दिमाग में यह बैठा रहा कि कांग्रेस भ्रष्ट नेताओं की पार्टी है. फिर 2019 के चुनाव में पुलवामा-बालाकोट को मुद्दा बनाया गया और हमें बताया गया कि केवल भाजपा की सरकार ही देश की रक्षा कर सकती है. हालाँकि इस पूरी अवधि में मुस्लिम-विरोधी प्रचार भी जारी रहा. कहने की ज़रुरत नहीं कि आरएसएस-भाजपा के प्रचारक सत्य और तथ्यों को बहुत महत्व नहीं देते.

इस (2024) के चुनाव में उम्मीद यह थी कि अयोध्या का राममंदिर भाजपा की नैया को किनारे लगा देगा. ज्ञानवापी का मुद्दा भी था. मगर जल्दी ही यह साफ़ हो गया कि राममंदिर–ज्ञानवापी जैसे मुद्दों से जनता थक चुकी है और उनका कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है. लोगों को अपनी गिरती सामाजिक-आर्थिक स्थिति की चिंता ज्यादा है और भव्य राममंदिर की कम. इसके बाद भाजपा-आरएसएस ने अपने पुरानी तरकीब एक बार फिर अपनाने का निर्णय किया. वह तरकीब है मुसलमानों की खिलाफत और समाज को धार्मिक आधार पर बांटना.

श्री मोदी ने मुसलमानों को अपना चुनावी मुद्दा बना लिया और इसके लिए समाज के कमज़ोर वर्गों (आदिवासी, दलित और धार्मिक अल्पसंख्यकों) के साथ न्याय, महिला सशक्तिकरण, युवाओं के लिए रोज़गार और इंटर्नशिप आदि का वायदा करने वाले कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र का इस्तेमाल किया.

आरएसएस और उससे जुड़े संगठन, समाज के कमज़ोर वर्गों के साथ न्याय के पुराने विरोधी रहे हैं. सन 1925 में आरएसएस की स्थापना ही इसलिए हुई थी क्योंकि दलित अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने लगे थे और महिलाओं की समाज में सक्रियता और हिस्सेदारी बढ़ने लगी थी. भाजपा को यह अहसास हो गया कि आरक्षण और सकारात्मक भेदभाव की नीतियों पर राहुल गाँधी के जोर देने का जनता पर सकारत्मक प्रभाव पड़ रहा है. अब भाजपा खुल कर तो यह कह नहीं सकती थी कि वह आरक्षण की विरोधी है. साथ ही, उसे राहुल गाँधी के बढ़ते ग्राफ से  भी निपटना था. इस दिशा में पहला कदम था संघ के मुखिया की यह गलतबयानी कि आरएसएस कभी आरक्षण का विरोधी नहीं रहा है.

दूसरी ओर मोदी नई खिचड़ी पका रहे हैं. वे कह रहे हैं, “….कांग्रेस दलितों और पिछड़ों के लिए निर्धारित कोटा को घटा कर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है, जो संविधान के खिलाफ है. बाबासाहेब ने आरक्षण का जो अधिकार दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों को दिया था, उसे कांग्रेस और इंडी गठबंधन धर्म के आधार पर मुसलमानों को देना चाहते हैं.”

मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र में जाति जनगणना की बात और उसे समाज का एक्सरे बताए जाने का उपयोग भी अपने मुस्लिम-विरोधी प्रचार में किया. उन्होंने झूठ बोलने के नए रिकॉर्ड कायम करते हुए कहा कि कांग्रेस एक्सरे कर यह पता लगाएगी कि किस हिन्दू के पास सोना और धन है और फिर उसे घुसपैठियों (जो भाजपा का मुसलमानों के लिए प्रयुक्त किया जाने वाले शब्द है) में बाँट देगी. हिन्दुओं और विशेषकर हिन्दू महिलाओं को डराने के लिए उन्होंने कहा, “मेरी माताओं और बहनों, वे आपके मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेंगे. कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो देश के हर व्यक्ति की संपत्ति का सर्वेक्षण किया जायेगा. यह पता लगाया जाएगा कि हमारी बहनों के पास कितना सोना है और सरकारी कर्मचारियों की कितनी संपत्ति है….उन्होंने यह भी कहा है कि हमारी बहनों के पास जो सोना है, उसे सब लोगों में बराबर-बराबर बांटा जाएगा. क्या सरकार को आपकी सम्पति आपसे छीनने का हक़ है?” उन्होंने कहा कि “हिन्दू महिलाओं का मंगलसूत्र छीन कर मुसलमानों को दे दिया जाएगा.”

यह सब कहकर वे एक तीर से कई निशाने लगाने का प्रयास कर रहे हैं. पहला, कांग्रेस के घोषणापत्र की आलोचना, दूसरा, मुसलमानों पर निशाना साधना और तीसरा, हिन्दू महिलाओं को डराना. आखिर कोई कितना झूठ बोल सकता है. उन्हें यह भरोसा है कि बड़ी संख्या में लोग उनके झूठ के पुलिंदे पर विश्वास कर लेंगे. वे जानते हैं कि संघ परिवार के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता, उसका आईटी सेल और कॉर्पोरेट घरानों द्वारा नियंत्रित टीवी चैनल और अखबार यह सुनिश्चित करेंगे कि इस सफ़ेद झूठ को आमजनों का एक बड़ा तबका गंभीरता से ले. यहाँ तक कि उन्होंने बेचारी भैंस, जिसे भाजपा के गौमाता-केन्द्रित नैरेटिव में कभी जगह नहीं मिली, को भी अपने प्रचार में घसीट लिया. “अगर आपके पास दो भैंसे होंगीं, तो कांग्रेस उनमें से एक को आपके बाड़े से खोल ले जाएगी”.

और फिर भला यह कैसे संभव है कि भाजपा-मोदी के चुनाव अभियान में पाकिस्तान की चर्चा न हो. मोदीजी ने फ़रमाया कि पाकिस्तान चाहता है कि भारत में कमज़ोर सरकार बने. फहाद चौधरी नामक एक सज्जन, जो पाकिस्तान के पूर्व मंत्री हैं, ने कहा था कि राहुल गाँधी समाजवादी नीतियों की बात कर रहे हैं. मोदी का कहना है कि पाकिस्तान चाहता है कि राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनें ताकि बालाकोट जैसे ऑपरेशन न हों. मोदीजी शायद भूल गए हैं कि राहुल गाँधी की दादी इंदिरा गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने बांग्लादेश को स्वतंत्र करवाकर, पाकिस्तान को दो भागों में बांटने का साहसिक निर्णय लिया था – और वह भी पश्चिम के शक्तिशाली देशों की इच्छा के खिलाफ.

अब मुगलों को भी लाना था. इसके लिए मोदी ने तेजस्वी यादव के एक ट्वीट का उपयोग किया, जिसमें वे नवरात्र के एक दिन पहले मछली खाते हुए दिख रहे हैं. मोदी ने कहा कि तेजस्वी नवरात्र के पवित्र पर्व के दौरान मछली खाकर हिन्दुओं को उसी तरह अपमानित कर रहे हैं जिस तरह मुग़ल राजा, मंदिरों को गिरा कर किया करते थे. एक विपक्षी नेता की मामूली सी तस्वीर को मुगलों और वर्तमान मुसलमानों से जोड़ कर मोदी जी ने यह दिखा दिया है कि वे किसी भी चीज़ का उपयोग मुसलमानों और विपक्ष के नेताओं के दानवीकरण के लिए कर सकते हैं.

सचमुच, मोदी जी अद्भुत प्रतिभा के धनी है. वे जहाँ धुआं न भी हो, वहां आग पैदा करने में सक्षम हैं.

08/05/2024
(अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)  

Loading

10 May 2024 राम पुनियानी
← મંજુમ્મેલ બોયઝ : મૃત્યુને સજીવન કરતી કથા!
“If On a Winter’s Night a Traveler” વિશે  →

Search by

Opinion

  • ચોપાસ પ્રદૂષણ અને પ્રદૂષણ નિયંત્રણનું વણવપરાયેલ ફંડ!
  • કોઈ દલિત અધિકારી પણ ન કરી શકે તેવું  કામ પ્રવીણ ગઢવીએ કર્યું !
  • સાર્થક જલસામાં ‘જલસી પડી ગઈ !’
  • સોક્રેટિસ ઉવાચ-૮  : સોક્રેટિસ અને ભારતીય રાજકારણી વચ્ચે એક કાલ્પનિક સંવાદ
  • જમીન 

Diaspora

  • ભાષાના ભેખધારી
  • બ્રિટનમાં ગુજરાતી ભાષા-સાહિત્યની દશા અને દિશા
  • દીપક બારડોલીકર : ડાયસ્પોરી ગુજરાતી સર્જક
  • મુસાજી ઈસપજી હાફેસજી ‘દીપક બારડોલીકર’ લખ્યું એવું જીવ્યા
  • દ્વીપોના દેશ ફિજીમાં ભારતીય સંસ્કૃતિ અને હિન્દી

Gandhiana

  • બાપુ અને બાદશાહ 
  • ચિકિત્સક બાપુ
  • બાપુ અને બડેદાદા
  • રાષ્ટ્રપિતા
  • ગાંધીજીનો ઘરડો દોસ્ત

Poetry

  • હાલો…
  • એક ટીપું
  • સાત કાવ્યો
  • એમના પગના તળિયામાં દુનિયાનો નકશો છે
  • બે કાવ્યો

Samantar Gujarat

  • મુસ્લિમો કે આદિવાસીઓના અલગ ચોકા બંધ કરો : સૌને માટે એક જ UCC જરૂરી
  • ભદ્રકાળી માતા કી જય!
  • ગુજરાતી અને ગુજરાતીઓ … 
  • છીછરાપણાનો આપણને રાજરોગ વળગ્યો છે … 
  • સરકારને આની ખબર ખરી કે … 

English Bazaar Patrika

  • Economic Condition of Religious Minorities: Quota or Affirmative Action
  • To whom does this land belong?
  • Attempts to Undermine Gandhi’s Contribution to Freedom Movement: Musings on Gandhi’s Martyrdom Day
  • Destroying Secularism
  • Between Hope and Despair: 75 Years of Indian Republic

Profile

  • સમાજસેવા માટે સમર્પિત : કૃષ્ણવદન જોષી
  • નારાયણ દેસાઈ : ગાંધીવિચારના કર્મશીલ-કેળવણીકાર-કલમવીર-કથાકાર
  • મૃદુલા સારાભાઈ
  • મકરંદ મહેતા (૧૯૩૧-૨૦૨૪): ગુજરાતના ઇતિહાસલેખનના રણદ્વીપ
  • અરુણભાઈનું ઘડતર – ચણતર અને સહજીવન

Archives

“Imitation is the sincerest form of flattery that mediocrity can pay to greatness.” – Oscar Wilde

Opinion Team would be indeed flattered and happy to know that you intend to use our content including images, audio and video assets.

Please feel free to use them, but kindly give credit to the Opinion Site or the original author as mentioned on the site.

  • Disclaimer
  • Contact Us
Copyright © Opinion Magazine. All Rights Reserved