Opinion Magazine
Number of visits: 9448784
  •  Home
  • Opinion
    • Opinion
    • Literature
    • Short Stories
    • Photo Stories
    • Cartoon
    • Interview
    • User Feedback
  • English Bazaar Patrika
    • Features
    • OPED
    • Sketches
  • Diaspora
    • Culture
    • Language
    • Literature
    • History
    • Features
    • Reviews
  • Gandhiana
  • Poetry
  • Profile
  • Samantar
    • Samantar Gujarat
    • History
  • Ami Ek Jajabar
    • Mukaam London
  • Sankaliyu
    • Digital Opinion
    • Digital Nireekshak
    • Digital Milap
    • Digital Vishwamanav
    • એક દીવાદાંડી
    • काव्यानंद
  • About us
    • Launch
    • Opinion Online Team
    • Contact Us

नरेंद्र मोदी और मोरारी बापू की ‘बाबा’ वाली दोस्ती

रजनीश कुमार [बीबीसी संवाददाता गुजरात से]|Opinion - Opinion|16 December 2017

"पतंजलि योगपीठ में मां गंगा के तट पर मैं उस बात को फिर से दोहरा रहा हूं. इसे मैंने अहमदाबाद में एक बार पहले भी कहा था. मैंने कहा था कि हमारे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात को केवल चला नहीं रहे हैं बल्कि वो अनुष्ठान कर रहे हैं."

मोरारी बापू ने 2013 में इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा था, "साबरमती आश्रम में रामकथा थी. मैं मानस के साथ महात्मा गांधी को जोड़कर बोल रहा था. उसमें नरेंद्र भाई भी एक दिन आए थे. स्रोता के रूप में और बोले भी. तब मैंने व्यासपीठ से किसी प्रसंगवश कहा था कि मैं तो बाबा हूं, कुछ भी छोड़ सकता हूं. तब इस आदमी ने कुर्सी से बैठे-बैठे कहा कि मैं भी बाबा हूं. तो आज दोनों बाबा साथ बैठे हैं. जो बाबा बनने की तैयारी कर रहा है उसमें निर्णय, राष्ट्र को करना है."

बाद में नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने अपना पीएम प्रत्याशी बना दिया था. मोरारी बापू साबरमती आश्रम में जिस मानस महात्मा कथा की बात कर रहे थे उसी का एक दिलचस्प वाक़या एक स्थानीय पत्रकार ने बताया.

उन्होंने कहा, "मोरारी बापू कथा कहते-कहते मोदी पर आ गए. उन्होंने कहा कि अपने मोदी को सत्ता से लगाव नहीं है. वो जिस आसन पर बैठे थे उस पर थोड़ा झुके और उन्होंने तकिये को फेंकते हुए कहा कि मोदी सत्ता को यूं फेंक सकते हैं."

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शाह कहते हैं, "यह नरेंद्र मोदी की साधने की कला ही है कि उनके संबंध मोरारी बापू, आसाराम बापू और गुजरात की सबसे ताक़तवर धार्मिक संस्था स्वामीनारायण से भी है. अगर आप अप्रत्यक्ष रूप से देखें तो ये तीनों संस्थाएं आपसी प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन मोदी के तीनों से काफ़ी मधुर संबंध रहे हैं."

'कभी नहीं की मोदी का आलोचना'

प्रकाश शाह का कहना है कि मोरारी बापू की मोदी से दोस्ती चुनावी फ़ायदों के लिहाज से मायने रखती है. उनका कहना है कि मोरारी बापू की हर अपील काम करती है.

2002 के दंगों के बाद मोरारी बापू ने एक शांति मार्च निकाला था. प्रकाश शाह कहते हैं कि यह टोकनिज़्म के अलावा कुछ नहीं था. उर्विश भी इस बात को स्वीकार करते हैं मोरारी बापू ने मोदी की आलोचना कभी नहीं की.

गुजरात यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस के प्रोफ़ेसर गौरांग जानी का कहना है कि बीजेपी और मोदी के संबंध मोरारी बापू से हमेशा अच्छे रहे हैं.

उनके मुताबिक, "मोरारी बापू ने हमेशा मोदी के लिए कवच का काम किया है. जब 2002 का दंगा हुआ तो किसी ने मोदी की आलोचना नहीं की और उसमें स्वामीनारायण से लेकर मोरारी बापू तक शामिल हैं."

वरिष्ठ पत्रकार उर्विश कहते हैं कि मोदी और मोरारी बापू के संबंध कभी ख़राब नहीं हुए. उर्विश महुवा में हुए एक जनआंदोलन का ज़िक्र करते हैं. तब बीजेपी विधायक कनुभाई कड़सारिया निरमा प्लांट लगाने के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे. पास में ही उनकी व्यासपीठ है.

उर्विश बताते हैं, "मोरारी बापू लंबे समय तक चुप रहे. एक दिन उन्होंने निरमा प्लांट के मालिक दर्शन भाई पटेल और कनुभाई को बुलाया कि आपस में समझौता कर लें, लेकिन बात नहीं बनी."

उर्विश का कहना है कि जहां मोरारी बापू को लोगों के साथ खड़ा रहना चाहिए था वहां उन्होंने निरमा के मालिक को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठाया.

मोरारी बापू 80 के दशक में रामजन्मभूमि आंदोलन में विश्व हिन्दू परिषद के साथ शिलापूजन में भी शामिल रहे हैं. बाबरी विध्वंस पर चर्चित डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' बनाने वाले फ़िल्मकार आनंद पटवर्धन दो साल पहले मोरारी बापू की व्यासपीठ में गए थे.

मोरारी बापू की अपील से चुनावों में होता है असर?

उन्होंने कहा, "मैंने वहां अपनी फ़िल्म भी दिखाई. अच्छा लगा कि उन्होंने मुझे अनुमति दी. जहां तक उनकी दोस्ती और संबंधों के सवाल हैं तो इससे उनके जीवन के विरोधाभासों का ही पता चलता है. पर मेरा मानना है कि कोई जन्म से ही सांप्रदायिक नहीं होता है. हमें ऐसे लोगों से संवाद कम करने के बजाय बढ़ाने की ज़रूरत है."

मोरारी बापू अक्सर कहते हैं कि वो सेतु का काम करते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोरारी बापू ने अंबानी भाइयों में भी सुलह कराने की कोशिश की थी, लेकिन यहां कामयाबी नहीं मिली थी.

हालांकि कई लोग हैं जो मोरारी बापू को सेक्युलर और उदार रामकथावाचक मानते हैं. वरिष्ठ पत्रकार गौतम ठक्कर का कहना है कि मोरारी बापू एक सेक्युलर संत हैं और उनकी मोदी या बीजेपी से क़रीबी हिन्दुत्व की विचारधारा के प्रति झुकाव के कारण है.

उन्होंने कहा कि मोरारी बापू कथा के अंदर सद्भावना की बात करते हैं. रामायण की भी बात करते हैं. हालांकि ठक्कर इस बात को मानते हैं कि बापू की अपील से चुनाव में फ़ायदा होता है.

प्रकाश शाह कहते हैं, "मोरारी बापू तटस्थ रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन चीज़ें साफ़ झलकती हैं. मोदी से उनकी दोस्ती लंबे समय से है. जब भी पब्लिक में आए तो हमेशा फ़ेवर में ही आए."

मोरारी बापू राम सेतु के समर्थन में भी सक्रिय रहे हैं. मोदी से उनकी दोस्ती को गुजरात में लोग काफ़ी स्मार्ट संबंध मानते हैं.

एक सीनियर पत्रकार ने कहा कि गुजराती में एक कहावत है कि 'जिसे गुड़ से मारा जा सकता है उसे ज़हर देकर नहीं मारना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 'गुजरात में धर्म और राजनीति का गठजोड़ कुछ ऐसा ही है.'

14 दिसंबर 2017

सौजन्य : http://www.bbc.com/hindi/india-42350127

Loading

16 December 2017 admin
← ઝિમ્બાબ્વેમાં મુગાબેના પતન માટે ચીનના ‘ગોરખધંધા’ જવાબદાર
નોટબંધી : એક ઈરાદાપૂર્વકનું ક્રૂર અને હિંસક પગલું ! →

Search by

Opinion

  • રૂપ, કુરૂપ
  • કમલા હેરિસ રાજનીતિ છોડે છે, જાહેરજીવન નહીં
  • શંકા
  • ગાઝા સંહાર : વિશ્વને તાકી રહેલી નૈતિક કટોકટી
  • સ્વામી : પિતૃસત્તાક સમાજમાં ભણેલી સ્ત્રીના પ્રેમ અને લગ્નના દ્વંદ્વની કહાની

Diaspora

  • ૧લી મે કામદાર દિન નિમિત્તે બ્રિટનની મજૂર ચળવળનું એક અવિસ્મરણીય નામ – જયા દેસાઈ
  • પ્રવાસમાં શું અનુભવ્યું?
  • એક બાળકની સંવેદના કેવું પરિણામ લાવે છે તેનું આ ઉદાહરણ છે !
  • ઓમાહા શહેર અનોખું છે અને તેના લોકો પણ !
  • ‘તીર પર કૈસે રુકૂં મૈં, આજ લહરોં મેં નિમંત્રણ !’

Gandhiana

  • સ્વરાજ પછી ગાંધીજીએ ઉપવાસ કેમ કરવા પડ્યા?
  • કચ્છમાં ગાંધીનું પુનરાગમન !
  • સ્વતંત્ર ભારતના સેનાની કોકિલાબહેન વ્યાસ
  • અગ્નિકુંડ અને તેમાં ઊગેલું ગુલાબ
  • ડૉ. સંઘમિત્રા ગાડેકર ઉર્ફે ઉમાદીદી – જ્વલંત કર્મશીલ અને હેતાળ મા

Poetry

  • બણગાં ફૂંકો ..
  • ગણપતિ બોલે છે …
  • એણે લખ્યું અને મેં બોલ્યું
  • આઝાદીનું ગીત 
  • પુસ્તકની મનોવ્યથા—

Samantar Gujarat

  • ખાખરેચી સત્યાગ્રહ : 1-8
  • મુસ્લિમો કે આદિવાસીઓના અલગ ચોકા બંધ કરો : સૌને માટે એક જ UCC જરૂરી
  • ભદ્રકાળી માતા કી જય!
  • ગુજરાતી અને ગુજરાતીઓ … 
  • છીછરાપણાનો આપણને રાજરોગ વળગ્યો છે … 

English Bazaar Patrika

  • Letters by Manubhai Pancholi (‘Darshak’)
  • Vimala Thakar : My memories of her grace and glory
  • Economic Condition of Religious Minorities: Quota or Affirmative Action
  • To whom does this land belong?
  • Attempts to Undermine Gandhi’s Contribution to Freedom Movement: Musings on Gandhi’s Martyrdom Day

Profile

  • સ્વતંત્ર ભારતના સેનાની કોકિલાબહેન વ્યાસ
  • જયંત વિષ્ણુ નારળીકરઃ­ એક શ્રદ્ધાંજલિ
  • સાહિત્ય અને સંગીતનો ‘સ’ ઘૂંટાવનાર ગુરુ: પિનુભાઈ 
  • સમાજસેવા માટે સમર્પિત : કૃષ્ણવદન જોષી
  • નારાયણ દેસાઈ : ગાંધીવિચારના કર્મશીલ-કેળવણીકાર-કલમવીર-કથાકાર

Archives

“Imitation is the sincerest form of flattery that mediocrity can pay to greatness.” – Oscar Wilde

Opinion Team would be indeed flattered and happy to know that you intend to use our content including images, audio and video assets.

Please feel free to use them, but kindly give credit to the Opinion Site or the original author as mentioned on the site.

  • Disclaimer
  • Contact Us
Copyright © Opinion Magazine. All Rights Reserved