Opinion Magazine
Number of visits: 9448724
  •  Home
  • Opinion
    • Opinion
    • Literature
    • Short Stories
    • Photo Stories
    • Cartoon
    • Interview
    • User Feedback
  • English Bazaar Patrika
    • Features
    • OPED
    • Sketches
  • Diaspora
    • Culture
    • Language
    • Literature
    • History
    • Features
    • Reviews
  • Gandhiana
  • Poetry
  • Profile
  • Samantar
    • Samantar Gujarat
    • History
  • Ami Ek Jajabar
    • Mukaam London
  • Sankaliyu
    • Digital Opinion
    • Digital Nireekshak
    • Digital Milap
    • Digital Vishwamanav
    • એક દીવાદાંડી
    • काव्यानंद
  • About us
    • Launch
    • Opinion Online Team
    • Contact Us

इस्लामोफोबिया से मुकाबला बहुत पहले शुरू हो जाना था

राम पुनियानी|Opinion - Opinion|13 September 2024

राम पुनियानी

जुलाई 2024 में इंग्लैड के कई शहरों में दंगे और उपद्रव हुए. इनकी मुख्य वजह थीं झूठी खबरें और लोगों में अप्रवासी विरोधी भावनाएं. अधिकांश दंगा पीड़ित मुसलमान थे. मस्जिदों और उन स्थानों पर हमले हुए जहां अप्रवासी रह रहे थे. इन घटनाओं के बाद यूके के ‘सर्वदलीय संसदीय समूह’ ने भविष्य में ऐसी हिंसा न हो, इस उद्देश्य से एक रपट जारी की. रपट में कहा गया कि “मुसलमान तलवार की नोंक पर इस्लाम फैलाते हैं” कहने पर पाबंदी लगा दी जाए. इस्लामोफोबिया की जड़ में जो बातें हैं, उनमें से एक यह मान्यता भी है.

यह उदाहरण हमारे देश में अनुकरण करने योग्य है जहां यह और बहुत सी अन्य गलत धारणाएं और पूर्वाग्रह लोगों के मन में पैठ बनाए हुए हैं. इस्लाम कैसे फैला? मुस्लिम राजाओं द्वारा कुछ हिंदू राजाओं का कत्ल किए जाने का उदाहरण देकर (जो राजनैतिक कारणों से किए गए थे) यह मिथक फैलाया जाता है कि इस्लाम तलवार की नोंक पर फैला. भारत में इस्लाम के विस्तार की हकीकत इससे बहुत अलग है.

अरब व्यापारी केरल के मालाबार तट पर आते रहते थे और स्थानीय लोगों ने उनके संपर्क में आने के कारण इस्लाम ग्रहण किया. यह इस तथ्य से जाहिर होता है कि केरल के मालाबार इलाके में चेरामन जुमा मस्जिद सातवीं सदी में तामीर की जा चुकी थी.

स्वामी विवेकानंद के अनुसार, “भारत में मुसलमानों की जीत दबे-कुचले समुदायों और निर्धनों के लिए एक मुक्ति का पैगाम थी. यही वजह है कि हमारे पूरे समाज का हर पांचवा व्यक्ति मुसलमान बन गया. यह तलवार की नोंक पर नहीं हुआ. यह सोचना सिवाय पागलपन के कुछ नहीं होगा कि यह सिर्फ तलवार और जोर-जबरदस्ती से किया गया. वास्तविकता यह है कि यह जमींदारों और पंडे-पुजारियों से आजादी पाने के लिए किया गया. यही वजह है कि बंगाल में किसानों में मुसलमानों की संख्या हिंदुओं से ज्यादा है क्योंकि वहां बहुत ज्यादा जमींदार थे.” सच तो यह है कि सम्राट अशोक के अलावा किसी भी राजा ने अपने धर्म के विस्तार का काम नहीं किया. केवल अशोक ने ही भगवान गौतम बुद्ध का संदेश फैलाने के लिए अपने प्रतिनिधि दूर-दूर तक भेजे.

आज के भारत में मुसलमानों और ईसाईयों के बारे में कई गलत धारणाएं बड़े पैमाने पर विद्यमान हैं और ये ही उनके खिलाफ हिंसा की मुख्य वजह हैं. ये गलत धारणाएं समय से साथ और जोर पकड़ती गईं और समाज के व्यापक नजरिए का हिस्सा बन गई हैं. इनकी शुरुआत इस सोच से होती है कि मुस्लिम राजाओं ने हिंदू मंदिरों को तोड़ा और नष्ट किया. इस प्रोपेगेंडा के सशक्त होने का ही नतीजा था 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढ़हाया जाना, जिसके अपराधियों को आज तक दंड नहीं मिला है. बाबरी मस्जिद मामले में अब काशी और मथुरा का मसला भी जुड़ गया है. यहां तक कि ताजमहल को भी शिव मंदिर बताया जाने लगा है जिसे बाद में जहांगीर की रानी नूरजहां की कब्र बना दिया गया.

हाल में ‘गाय एक पवित्र पशु है और मुसलमान गायों की हत्या कर रहे हैं’ की गलत धारणा ने जोर पकड़ा है. इस धारणा को आधार बनाकर ही जहां एक ओर शाकाहार का प्रचार किया जाता है वहीं दूसरी ओर लिंचिंग की जाती है. इंडियास्पेन्ड द्वारा जारी रपट के अनुसार “2010 और 2017 के बीच गौवंश से जुड़े मुद्दों पर हुई हिंसा के शिकार हुए लोगों में से 51 प्रतिशत मुसलमान थे और ऐसी 63 घटनाओं में जो 28 भारतीय नागरिक मारे गए उनमें से 83 प्रतिशत मुसलमान थे”. कुल घटनाओं में से केवल 3 प्रतिशत मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के पहले हुई थीं. इंडियास्पेन्ड ने यह जानकारी भी दी कि हिंसा की लगभग आधी – 63 में से 32 – घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुईं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं कारवां-ए-मोहब्बत के संस्थापक हर्ष मंदर लिचिंग के शिकार हुए लोगों के परिवारों और पड़ोसियों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए उनसे मिलने जाते रहते हैं. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस में लिखा ‘‘मैं मोनू मनेसर के सोशल मीडिया एकाउंट को देखकर कांप उठता हूं. वह और उसके गिरोह के सदस्य आधुनिक हथियारों का खुलेआम प्रदर्शन करने के वीडियो का सीधा प्रसारण करते हैं, पुलिस के वाहनों की तर्ज पर साइरन बजाते हैं, गाड़ियों पर गोलियां चलाते हैं और पकड़े लगे लोगों की बुरी तरह पिटाई करते हैं”.

ये सारी यादें तब ताजा हो गईं जब गौरक्षकों ने गौ तस्करी के शक में एक हिंदू विद्यार्थी आर्यन मिश्रा की हत्या कर दी. आर्यन की मां ने अपने बयान में हत्या की वजह पर सवाल उठाते हुए कहा “आरोपियों ने उसे मुसलमान समझकर मार दिया. क्यों? क्या मुस्लिम इंसान नहीं हैं? आपको मुसलमानों का कत्ल करने का क्या हक है”. हमें अखलाक, जुनैद, रकबर खान और कई अन्य लोग याद आते हैं जिन्हें गौ हत्यारा होने के शक में  मार डाला गया. हाल में सड़क मार्ग से अमृतसर से पालमपुर की यात्रा के दौरान मेरे युवा सहयोगी को सड़कों पर घूमती गायों की दुर्दशा और उनके कारण सड़क पर होने वाली दिक्कतों, दुर्घटनाओं और भटकती हुई गायों के कारण किसानों को हो रहे नुकसान को देखकर काफी धक्का लगा.

इसके साथ-साथ टिफिन में मांसाहारी भोजन भी मुस्लिम विद्यार्थियों को सताने का एक और आधार बनता जा रहा है. एक ताजी घटना में अमरोहा के एक जाने-माने स्कूल का तीसरी कक्षा का छात्र अपने टिफिन में बिरयानी लेकर आ गया. हिल्टन स्कूल के प्राचार्य अमरीश कुमार शर्मा ने उसे स्टोर रूम में यह कहते हुए बंद कर दिया कि “मैं ऐसे बच्चों को नहीं पढ़ाऊगा जो बड़े होकर मंदिरों को तोड़ें”.

नफरत भरे भाषण भी देश के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं. नफरत भरे भाषण देने वालों पर काबू पाने और उन्हें सजा देने का तंत्र एवं प्रक्रिया मौजूद है, मगर जमीनी हकीकत यह है कि ऐसा करने वाले सामान्यतः न केवल दंड से बचे रहते हैं, वरन् उन्हें पदोन्नत कर पार्टी के बड़े पदों से नवाजा जाता है. असम के मुख्यमंत्री लगातार ‘मैं मियां मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने दूंगा‘ जैसी घृणा फैलाने वाली बातें कहते रहते हैं, और बाढ़ जिहाद, बिजली जिहाद और नौकरी जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहते हैं. वे और भाजपा के अन्य नेता समाज को धर्म के आधार पर ध्रुवीकृत करने के लिए लगातार ऐसी बातें करते रहते हैं.

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलडोजरों के जरिए मुसलमानों के घरों और संपत्तियों को ढ़हाने का काम कर रहे हैं. भाजपा के अन्य मुख्यंमत्री भी उनका अनुसरण कर रहे हैं. बुलडोजरों द्वार बरपा किये जा रहे कहर पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने टिप्पणी की, “सिर्फ इस वजह से किसी का मकान कैसे ढ़हाया जा सकता है कि वह आरोपी है? यदि वह दोषी पाया जाता है तब भी ऐसा निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं किया जा सकता.”  वे दिल्ली में 2020 के दंगों के बाद जहांगीरपुरी में चलाए गए तोड़फोड़ के अभियान से संबंधित एक याचिका की सुनवाई कर रहे थे. लेकिन सवाल यह है कि क्या राज्यों के मुख्यमंत्री इस टिप्पणी को मानेंगे?

समय आ गया है कि भारत में भी सरकार यूके की तरह ऐसी समितियों का गठन करे जो गलतफहमियां दूर करने के लिए निर्धारित एजेंडा पर अमल सुनिश्चित करें. ये गलतफहमियां समाज में बहुत खतरनाक स्तर तक फैल चुकी हैं. समाज में घृणा और गलतफहमियां दूर करने का काम बहुत पहले ही रू हो जाना चाहिए था ताकि हम साम्प्रदायिक हिंसा से बच सकें.

11 सितम्बर 2024
(अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया. लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)  

Loading

13 September 2024 Vipool Kalyani
← Combating Islamophobia: A task overdue
ચાલ મૂળાક્ષરો તને શીખવી દઉં →

Search by

Opinion

  • રૂપ, કુરૂપ
  • કમલા હેરિસ રાજનીતિ છોડે છે, જાહેરજીવન નહીં
  • શંકા
  • ગાઝા સંહાર : વિશ્વને તાકી રહેલી નૈતિક કટોકટી
  • સ્વામી : પિતૃસત્તાક સમાજમાં ભણેલી સ્ત્રીના પ્રેમ અને લગ્નના દ્વંદ્વની કહાની

Diaspora

  • ૧લી મે કામદાર દિન નિમિત્તે બ્રિટનની મજૂર ચળવળનું એક અવિસ્મરણીય નામ – જયા દેસાઈ
  • પ્રવાસમાં શું અનુભવ્યું?
  • એક બાળકની સંવેદના કેવું પરિણામ લાવે છે તેનું આ ઉદાહરણ છે !
  • ઓમાહા શહેર અનોખું છે અને તેના લોકો પણ !
  • ‘તીર પર કૈસે રુકૂં મૈં, આજ લહરોં મેં નિમંત્રણ !’

Gandhiana

  • સ્વરાજ પછી ગાંધીજીએ ઉપવાસ કેમ કરવા પડ્યા?
  • કચ્છમાં ગાંધીનું પુનરાગમન !
  • સ્વતંત્ર ભારતના સેનાની કોકિલાબહેન વ્યાસ
  • અગ્નિકુંડ અને તેમાં ઊગેલું ગુલાબ
  • ડૉ. સંઘમિત્રા ગાડેકર ઉર્ફે ઉમાદીદી – જ્વલંત કર્મશીલ અને હેતાળ મા

Poetry

  • બણગાં ફૂંકો ..
  • ગણપતિ બોલે છે …
  • એણે લખ્યું અને મેં બોલ્યું
  • આઝાદીનું ગીત 
  • પુસ્તકની મનોવ્યથા—

Samantar Gujarat

  • ખાખરેચી સત્યાગ્રહ : 1-8
  • મુસ્લિમો કે આદિવાસીઓના અલગ ચોકા બંધ કરો : સૌને માટે એક જ UCC જરૂરી
  • ભદ્રકાળી માતા કી જય!
  • ગુજરાતી અને ગુજરાતીઓ … 
  • છીછરાપણાનો આપણને રાજરોગ વળગ્યો છે … 

English Bazaar Patrika

  • Letters by Manubhai Pancholi (‘Darshak’)
  • Vimala Thakar : My memories of her grace and glory
  • Economic Condition of Religious Minorities: Quota or Affirmative Action
  • To whom does this land belong?
  • Attempts to Undermine Gandhi’s Contribution to Freedom Movement: Musings on Gandhi’s Martyrdom Day

Profile

  • સ્વતંત્ર ભારતના સેનાની કોકિલાબહેન વ્યાસ
  • જયંત વિષ્ણુ નારળીકરઃ­ એક શ્રદ્ધાંજલિ
  • સાહિત્ય અને સંગીતનો ‘સ’ ઘૂંટાવનાર ગુરુ: પિનુભાઈ 
  • સમાજસેવા માટે સમર્પિત : કૃષ્ણવદન જોષી
  • નારાયણ દેસાઈ : ગાંધીવિચારના કર્મશીલ-કેળવણીકાર-કલમવીર-કથાકાર

Archives

“Imitation is the sincerest form of flattery that mediocrity can pay to greatness.” – Oscar Wilde

Opinion Team would be indeed flattered and happy to know that you intend to use our content including images, audio and video assets.

Please feel free to use them, but kindly give credit to the Opinion Site or the original author as mentioned on the site.

  • Disclaimer
  • Contact Us
Copyright © Opinion Magazine. All Rights Reserved